लखनऊ : कोरोना संक्रमण के बीच शुरू हुई ब्लैक फंगस की बीमारी ने दहशत को और बढ़ा दिया है। लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि अब कोरोना के बीच फ्लैक संगत से कैसे निपटा जाए। हकीकत यह है कि लोगों को ब्लैक फंगस के बारे में जानकारी नहीं है। इसी डर और दहशत को खत्म करने के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों ने अपनी एडवाइजरी जारी की है। विशेषज्ञों का कहना है कि स्वस्थ लोगों और बच्चों को ब्लैक फंगस से डरने की जरूरत नहीं है। यह उन लोगों को बीमारी होगी ही नहीं। ब्लैक फंगस केवल उन्हीं लोगों को अपनी चपेट में ले रही है, जो शुगर, कैंसर या फिर एचआईवी संक्रमित हैं। इसलिए सभी लोगों को डरने की जरूरत नहीं है।
लखनऊ केजीएमयू में मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डा. वीरेन्द्र आतम कहते हैं कि ब्लैक फंगस का ज्यादा खतरा सिर्फ अनियंत्रित शुगर वाले कोविड व पोस्ट कोविड मरीजों को ही ज्यादा है। कैंसर व एचआइवी के मरीज भी कोरोना संक्रमित होने पर रिस्क पर हैं। मगर इसके अलावा अन्य लोगों को इससे कोई खतरा नहीं है। यहां तक कि कोविड के कम व मध्यम संक्रमित लोग भी इसके रिस्क से लगभग बाहर हैं। जो लंबे समय से वेंटिलेटर या बाईपेप पर हैं और उन्हें स्टेराइ़ड की हाई डोज देनी पड़ी है, उनको ही रिस्क है। सामान्य लोग व बच्चे तो बिल्कुल इसके खतरे से बाहर हैं। क्योंकि आमतौर पर बच्चों को शुगर नहीं होती। वह कहते हैं कि यह कोई नई बीमारी नहीं है। पहले बहुत ही कम लोगों को यह रोग होता था। इसलिए इसके इंजेक्शन व दवाएं भी उसी अनुपात में बाजार में रहते थे। मगर अचानक इसकी मांग ज्यादा बढ़ने से उपलब्धता जरूर कम हुई है।
यह बरतें सावधानी:
-कोविड व पोस्ट कोविड के विशेषकर अनियंत्रित शुगर वाले मरीज डायटीशियन या डाक्टर की निगरानी के अनुसार अगले दो तीन माह तक खान-पान का बेहतर ध्यान रखें।
-लक्षण दिखने पर तत्काल अस्पताल जाएं। पहुंचने में देरी करने से केस गंभीर हो सकता है।
-समय पर अस्पताल पहुंचने पर मरीज स्वस्थ हो सकते हैं।
-घबराने की बजाए सतर्क रहें।
-कोविड से ठीक होने के बाद लापरवाह व बेफिक्र न बनें। बाहर जाना नजरंदाज करें। बिना मास्क लगाए तो इमरजेंसी में भी बाहर नहीं निकलें