कल से शुरू हो रही चैत्र नवरात्रि, घटस्थापना के लिए यह है शुभ मुहूर्त, देवी मां की पूजा में यह करना नितांत आवश्यक

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न्यूज जंक्शन 24, हल्द्वानी। कल यानी 02 अप्रैल शनिवार से चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) शुरू हो रही है, जो 10 अप्रैल रविवार तक चलेगी। इस दौरान देशभर में नवरात्रि के 9 दिनों में देवी मां के 9 स्वरूपों की पूजा की जाएगी। मान्यता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा करने से खास कृपा बरसती है। इस दौरान लगभग हर नवरात्रि करने वालों के घर में घटस्थापना या कलश स्थापना की जाती है। इस बार नवरात्रि (Chaitra Navratri) घटस्थापना का मुहूर्त 2 अप्रैल 2022 शनिवार को सुबह 06:03 मिनट से 08:31 मिनट तक रहेगा। यदि इस मुहुर्त में कलश स्थापना नहीं कर पाते हैं तो अभिजित काल में 11:48 से 12:37 तक कलश स्थापना कर सकते हैं।

इस नवरात्रि (Chaitra Navratri) में माता का आगमन घरों में घोड़े पर हो रहा है। जब भी नवरात्रि में माता का आगमन घोड़े पर होता है तो समाज में अस्थिरता, तनाव, अचानक बड़ी दुर्घटना, भूकंप चक्रवात आदि से तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। आम जनमानस के सुखों में कमी की अनुभूति होती है। इसलिए इस नवरात्रि में माता का पूजन अर्चन क्षमा प्रार्थना के साथ किया जाना नितांत आवश्यक है। प्रत्येक दिन विधिवत पूजा के उपरांत क्षमा प्रार्थना किया जाना भी अति आवश्यक होगा लाभदायक होगा।

ऐसे करें पूजा

नवरात्रि (Chaitra Navratri) के पहले दिन घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ स्वास्तिक बनाएं और दरवाजे पर आम के पत्ते का तोरण लगाएं। क्योंकि माता इस दिन भक्तों के घर में आती हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और आपके घर में निवास करती हैं। नवरात्रि में माता की मूर्ति को लकड़ी की चौकी या आसन पर स्थापित करना चाहिए। जहां मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें वहां पहले स्वास्तिक का चिह्न बनाएं। उसके बाद रोली और अक्षत से टीकें और फिर वहां माता की मूर्ति को स्थापित करें। उसके बाद विधि विधान से माता की पूजा करें। पूजास्थल ईशान कोण में होना चाहिए।

घटस्थापना पूजन सामग्री

मां दुर्गा की नई मूर्ति या तस्वीर, लाल रंग की चौकी, पीला वस्त्र, एक आसन, नई लाल रंग की चुनरी, मिट्टी का एक कलश, आम की 5 हरी पत्तियां, मिट्टी के बर्तन, लाल सिंदूर, गुड़हल का फूल, फूलों की माला, श्रृंगार सामग्री, एक नई साड़ी, अक्षत्, गंगाजल, शहद, कलावा, चंदन, रोली, जटावाला नारियल, सूखा नारियल, अगरबत्ती, दीपक, बत्ती के लिए रुई, केसर, नैवेद्य, पंचमेवा, गुग्गल, लोबान, जौ, गाय का घी, धूप, अगरबत्ती, पान का पत्ता, सुपारी, लौंग, इलायची, कपूर, फल, मिठाई, उप्पलें, एक हवन कुंड, आम की सूखी लकड़ियां, माचिस, लाल रंग का ध्वज, दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती, दुर्गा आरती की किताब आदि।

घटस्थापना विधि

पूजा घर में पूर्व, ईशान या उत्तर दिशा में घटस्थापना के लिए स्थान चुनें, वहां साफ सफाई करें। उस स्थान को गंगाजल से पवित्र कर लें। उस जगह पर साफ मिट्टी बिछा दें, फिर जौ छिड़कें, उस पर मिट्टी की एक परत डाल दें। अब वहां पर पानी छिड़क दें। अब इसके ऊपर कलश स्थापना करें। कलश में गंगाजल, यमुना, कावेरी आदि पवित्र नदियों का जल भर दें। उसमें एक सिक्का डालें। इस दौरान वरुण देव का मन में ध्यान करें। अब कलश के मुख पर रक्षा सूत्र यर ​कलावा बांध दें। फिर उसके मुख को मिट्टी के एक कटोरी से ढंक दें। उस कटोरी को जौ से भर दें। अब एक सूखे नारियल में कलावा लपेट दें। फिर उसे कलश के ऊपर रखी जौ वाली कटोरी में स्थापित कर दें। कलश को गणपति का स्वरूप मानते हैं। इस वजह से सबसे पहले श्रीगणेश यानी कलश का पूजन करते हैं। इस प्रकार से आप स्वयं ही कलश स्थापना कर सकते हैं। कलश स्थापना के बाद मां दुर्गा के प्रथम स्वरुप मां शैलपुत्री का पूजा करें।

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