कोविड-19 वायरस संक्रमण से बचाव के लिए कई तरह के उपाय लोग अपना रहे हैं। सबसे अधिक बातचीत प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर हो रही है और इसके लिए काढ़े का सेवन काफी फायदेमंद माना जाता है पर आयुर्वेदिक काढ़ा बनाते समय उसमें मिलाए जाने वाले खाद्य पदार्थों की मात्रा का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। किसी भी एक पदार्थ की मात्रा अधिक होने पर यह शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव भी डाल सकता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली सभी औषधियों की तासीर गरम होती है। गिलोय, लौंग, अदरक, लहसुन, दालचीनी और कालीमिर्च समेत अन्य आयुर्वेदिक औषधियां गरम तासीर वाली होती है। ऐसे में इनका ओवरडोज खतरनाक हो सकता है। शरीर में गर्मी अधिक होने से पित्त की वृद्धि जैसी परेशानी हो सकती है और इसका सीधा असर पाचन क्रिया पर पड़ता है। काढ़े में काली मिर्च की अहम भूमिका होती है लेकिन इसकी अधिक मात्रा का सेवन करने से शरीर में कफ की मात्रा कम होने लगती है जो बदन दर्द जैसी परेशानी की वजह हो सकती है। इसी तरह लौंग के अधिक सेवन से लार ग्रंथियों से होने वाला स्राव बढ़ जाता है जो हमारी पाचन क्रिया को प्रभावित करता है।
यूट्यूब देखकर काढ़ा बनाने से बचें
राजकीय आयुर्वेदिक कालेज के डा. पीपी गंगवार कहते हैं कि आनलाइन किसी साइट पर या यूट्यूब पर देखकर काढ़ा बनाने से बचें। यह नुकसानदायक हो सकता है। आयुष मंत्रालय ने विशेषज्ञों की राय से काढ़ा बनाने का फार्मूला बनाया है और उसका ही पालन करना चाहिए। एक दिन में 4-5 कप काढ़ा भी नहीं पीना चाहिए।