बरेली। लॉकडाउन में फीस जमा करने को लेकर अभिभावक संघ और स्कूल संचालक आमने सामने आ गए हैं। अभिभावक संघ ने वर्चुअल कक्षाओं को सत्र की शुरुआत मानने से इनकार किया है। संघ ने स्कूलों पर फीस जमा करने का दबाव बनाने का आरोप लगाया है।
इंडिपेंडेंट स्कूल एसोसिएशन और सहोदय ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया था कि वर्चुअल कक्षाओं के जरिए नए सत्र का शुभारंभ हो गया है। अब लोग तिमाही या मासिक आधार पर फीस जमा कर सकते हैं। अभिभावक संघ ने इसका विरोध किया है। संघ के प्रांतीय अध्यक्ष अंकुर सक्सेना ने मंगलवार को फेसबुक लाइव के माध्यम से अभिभावकों से बातचीत की। अंकुर ने कहा कि लॉकडाउन में सभी स्कूल बंद हैं। जहां तक सत्र शुरू होने की बात है तो वर्चुअल कक्षाओं से सत्र शुरू होने का लाभ सभी को नहीं मिल रहा है। बरेली जैसे शहर में कनेक्टिविटी की दिक्कत भी इतनी ज्यादा है कि बहुत कम छात्र ही वर्चुअल कक्षाओं से जुड़ पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में फीस का दबाव बनाया जाना भी सही नहीं है।
प्रमुख सचिव आराधना शुक्ला ने स्पष्ट आदेश जारी कर दिया है कि लॉकडाउन के दौरान कोई भी स्कूल छात्र छात्राओं से ट्रांसपोर्ट फीस नहीं लेगा। तीन महीने की अग्रिम फीस जमा करने के लिए भी किसी पर दबाव नहीं बनाया जाएगा। अभिभावक मासिक फीस भी जमा कर सकते हैं। फीस जमा ना होने की स्थिति में किसी भी छात्र को ऑनलाइन कक्षा से वंचित ना किया जाए।
अभिभावक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अंकुर सक्सेना ने कहा कि इस समय फीस की बात करना बेमानी है। अभिभावक घनघोर संकट से गुजर रहे हैं। वर्चुअल कक्षाओं को तकनीकी रूप से ही सत्र शुरू होना कहा जा सकता है। सच तो यह है कि अभी सत्र का सही से शुभारंभ भी नहीं हुआ है। हम लगातार सरकार से लॉकडाउन पीरियड की फीस माफ करने की मांग उठा रहे हैं।
इंडिपेंडेंट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष पारुष अरोड़ा ने कहा कि लगभग सभी स्कूलों ने वर्चुअल कक्षाएं शुरू कर दी हैं। स्कूल ऑनलाइन पीटीएम कर अभिभावकों की काउंसलिंग भी कर रहे हैं। शासन ने भी कहा है कि मासिक आधार पर फीस ले सकते।
यदि हमारे पास फीस नहीं आएगी तो 1000 से ज्यादा स्कूलों के लगभग 50000 शिक्षक और स्टाफ का वेतन कैसे देंगे।