उत्तराखंड के लोकप्रिय हास्य कलाकार घनानंद ‘घन्ना भाई’ का आज देहरादून के एक अस्पताल में निधन हो गया। उनकी अद्वितीय अभिनय शैली ने न केवल प्रदेश की जनता को हंसाया, बल्कि उन्हें जीवन के विभिन्न पहलुओं को एक नए दृष्टिकोण से देखने का तरीका भी दिया। उनके निधन से उत्तराखंड के कला जगत में शोक की लहर दौड़ गई है, और इस दुखद खबर ने कला प्रेमियों को गहरे सदमे में डाल दिया है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घनानंद के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखा, “उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध हास्य कलाकार घनानंद ‘घन्ना भाई’ जी के निधन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ। ईश्वर दिवंगत आत्मा को श्री चरणों में स्थान और शोक संतप्त परिजनों व समर्थकों को यह कष्ट सहने की शक्ति प्रदान करें। आपकी सरलता, मृदुता और अद्वितीय अभिनय शैली ने लोगों को न केवल हंसाया, बल्कि जीवन के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को एक अलग दृष्टिकोण से देखने का नजरिया दिया। उत्तराखंड के फिल्म जगत और अभिनय के क्षेत्र में आपके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। आप सदैव हमारे दिलों में जीवित रहेंगे।”
घनानंद ‘घन्ना भाई’ उत्तराखंड के रंगमंच और फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर कलाकार थे। उनका जन्म 1953 में पौड़ी जिले के गगोड़ गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कैंट बोर्ड लैंसडाउन से प्राप्त की। वह एक सहज और प्रभावशाली अभिनेता थे, जो किसी भी भूमिका में अपने अभिनय से समा बांध देते थे। हास्य अभिनय में उनकी बेजोड़ पकड़ के साथ-साथ चरित्र अभिनय में भी उन्होंने खुद को साबित किया और अपनी अलग पहचान बनाई।
घनानंद ने 1970 में रामलीलाओं में नाटकों से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने 1974 में रेडियो और दूरदर्शन पर भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई और गढ़वाली एवं कुमाऊंनी फिल्मों में हास्य कलाकार के रूप में काम किया। उनका असली नाम घनानंद गगोडिया था, लेकिन घन्ना भाई के नाम से वह उत्तराखंड के हर घर में पहचाने जाते थे।
घनानंद ने उत्तराखंड की कई सुपरहिट फिल्मों में अपनी हास्य अभिनय से लोगों का दिल जीता। फिल्म घरजवें से वह घर-घर पहचानने लगे थे, और उनके हास्य अभिनय ने दर्शकों को लोटपोट कर दिया था। इसके बाद चक्रचाल, बेटी-ब्वारी, जीतू बगडवाल, सतमंगल्या, ब्वारी हो त यनि, घन्ना भाई एमबीबीएस, घन्ना गिरगिट और यमराज जैसी फिल्मों में उनके अभिनय को सराहा गया। उनके अभिनय ने न केवल लोगों को हंसाया, बल्कि उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में एक अमिट छाप छोड़ी है। घनानंद की कला का योगदान हमेशा याद किया जाएगा, और उनका नाम उत्तराखंड की फिल्म इंडस्ट्री में हमेशा जीवित रहेगा।



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