न्यूज जंक्शन 24, हल्द्वानी। आज से शारदीय नवरात्रि शुरू हो गए हैं। शारदीय नवरात्रि के नौ दिन आस्था और भक्ति के साथ ही साधना का अवसर भी लेकर आते हैं। शास्त्रों की मान्यता है कि देवी इन नौ दिनों में पृथ्वी पर आकर अपने भक्तों को मनोवांछित फल देती हैं, इसलिए नवरात्रि माता भगवती की साधना का श्रेष्ठ समय होता है।
नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री माता की पूजा अर्चना की जाती है जो भक्तों को सुख-सौभाग्य और शौर्य प्रदान करती हैं। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि पर देवी दुर्गा का पृथ्वी पर आगमन हाथी की सवारी के साथ होगा। हाथी पर माता का आगमन इस बात की ओर संकेत कर रहा है कि इस साल देश में सुख-समृद्धि बढ़ेगी।
नवरात्रि पर विशेष योग
ज्योतिषाचार्य डॉ. मंजू जोशी के मुताबिक, शारदीय नवरात्रि का आरंभ हस्त नक्षत्र, शुक्ल एवं ब्रह्म योग में होगा। कन्या राशि में सूर्य एवं चंद्रमा आनंदादि महायोग एवं सूर्य,चंद्रमा, शुक्र व बुध चतुर्थ गृही योग का निर्माण कर रहे हैं। शरद नवरात्रि के प्रथम दिवस पर चन्द्रवार होने के कारण देवी दुर्गा पृथ्वी लोक में हाथी पर सवार होकर आएंगी। धार्मिक मान्यतानुसार यदि नवरात्र पर देवी दुर्गा के वाहन गजराज होते हैं तो भक्तों पर विशेष कृपा बरसती है, देश की आर्थिक उन्नति होती है एवं भक्तों की आर्थिक समस्याएं दूर होती है। एवं देवी दुर्गा की पूर्ण भाव से पूजा करने पर सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अतः देवी दुर्गा का हाथी पर आगमन अति शुभ संकेत है।
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
डॉ. मंजू जोशी ने बतया कि इस बार प्रतिपदा तिथि का आरंभ 26 सितंबर,सोमवार सुबह 03 बजकर 23 मिनट पर आरंभ होगी जिसका समापन 27 सितम्बर को सुबह 03 बजकर 08 मिनट पर होगा। घटस्थापना का मुहूर्त प्रातः 06.11 से प्रातः 07.51 मिनट तक रहे०००000०00गा। घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11:54 से दोपहर 12:42 तक रहेगा।
कलश स्थापना विधि
डॉ. मंजू जोशी ने बताया कि नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नानादि के उपरांत सम्पूर्ण घर व पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध कीजिए। घी या तिल के तेल से नौ दिनों तक अखंड ज्योत प्रज्वलित करें। तत्पश्चात चौकी पर लाल आसन बिछाएं व आसन के उपर थोड़े चावल रखें और एक मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं और उस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें, कलश पर स्वास्तिक बनाएं। कलश में साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालकर नौ आम के पत्ते रखें नारियल लें और उस पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांध लें। इस नारियल को कलश के ऊपर रखते हुए अब मां दुर्गा का ध्यान व आव्हान करें। प्रतिदिन पूर्ण श्रद्धा पूर्वक माता के नौ रूपों की उपासना करें । घी का दीपक जलाएं। भोग अर्पित करें।