न्यूज जंक्शन 24, हल्द्वानी। दिवाली के तीसरे दिन होने वाले भाई दूज (Bhai Dooj) के त्योहार के साथ दिवाली का पांच दिन का उत्सव अपने अंतिम चरण में पहुंच जाता है। इस दिन के साथ दिवाली के त्योहार का समापन होता है।
भाई दूज (Bhai Dooj) पर बहन भाई की रक्षा और उसकी दीघार्यू की कामना करती है। इस दिन अगर बहन दूर है तो भाई उसके घर जाकर तिलक जरूर कराता है। भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक ये त्योहार सभी के लिए खास होता है। इस मौके पर यमराज की पूजा भी होती है। जानते हैं क्या है पूजा करने का सबसे शुभ मुहूर्त।
इस मुहूर्त में करें भाई को तिलक
इस साल भाई दूज (Bhai Dooj) के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त दोपहर में 01:10 से लेकर 3:21 बजे तक का है। इस समय पर भाई को टीका करना अच्छा रहेगा। हिंदू पंचाग के हिसाब से भाई दूज (Bhai Dooj)का त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल द्वितीया तिथि 05 नवंबर रात में 11 बजकर 14 मिनट से शुरु होकर 06 नवंबर शाम 07 बजकर 44 मिनट तक रहेगी। इस आधार पर द्वितीया तिथि 06 नवंबर को मानी जाएगी और भाई दूज पर्व मनाया जाएगा।
क्यों मनाते हैं भाई दूज
भाई दूज (Bhai Dooj) का त्योहार क्यों मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा है, जो इस प्रकार है। देवी यमुना अपने भाई यमराज से बहुत प्रेम करती थीं लेकिन वे दोनों लंबे समय तक मिल नहीं पाते थे। एक बार यम अचनाक दिवाली के बाद बहन यमुना से मिलने पहुंच गए। खुशी में यामी यानी यमुना ने तमाम तरह के पकवान बनाए और भाई यम के माथे पर तिलक किया। इससे खुश होकर उन्होंने यमुना से वरदान मांगने को कहा। इस पर यमुना ने अपने भाई से कहा कि वे चाहती हैं कि यम हर साल उनसे मिलने आएं और आज के बाद जो भी बहन अपने भाई के माथे पर तिलक करे, उसे यमराज का डर न रहे। यमराज ने यमुना को ये वरदान दिया और उस दिन से भाई दूज (Bhai Dooj) का त्योहार मनाया जाने लगा। ऐसी मान्यता है कि जो बहनें अपने भाई के तिलक करती हैं, उनकी उम्र लंबी होती है।
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