उत्तराखंड में प्रतिकरात्मक वन रोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैंपा) के कार्यों की निगरानी और सहयोग के लिए अब बाहरी संस्था की मदद ली जाएगी। इसके लिए शासन से अनुमति मिलने के बाद प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। राज्य में कैंपा के तहत लगभग 300 करोड़ रुपये तक के कार्य होते हैं, जिनकी प्रभावी निगरानी के लिए यह कदम उठाया गया है।
हाल ही में बजट सत्र के दौरान कैंपा के कार्यों पर आई कैग की रिपोर्ट में कई गंभीर अनियमितताओं का खुलासा हुआ था। रिपोर्ट में कैंपा के कार्यों में मनमानी का जिक्र किया गया था। इसके अलावा, पौधरोपण जैसे कार्यों में खड़ी ढलान जैसे स्थानों का चयन, 10 साल के लिए राशि लेने के बावजूद सिर्फ 5 साल तक देखभाल करने की बातें सामने आई थीं। रिपोर्ट में यह भी आरोप था कि कैंपा की राशि से आईफोन, लैपटॉप और फ्रिज जैसी वस्तुएं खरीदी गईं।
इन गंभीर आरोपों के बाद विभाग में खलबली मच गई थी और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। अब कैंपा के कामों को बेहतर ढंग से करने और निगरानी तंत्र को मजबूत करने के लिए बाहरी संस्था की मदद लेने का निर्णय लिया गया है। यह कदम सुनिश्चित करेगा कि कैंपा के कार्य पारदर्शी और प्रभावी ढंग से संपन्न हों।



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